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गद्यपद्यमयी वाणी गङ्गानिर्झरिता तथा ॥ १४॥



ತಸ್ಯ ಧ್ಯಾನಂ ತ್ರಿಧಾ ಪ್ರೋಕ್ತಂ ಸಾತ್ತ್ವಿಕಾದಿಪ್ರಭೇದತಃ

भविष्य में आने वाली बुरी दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।

ವಕ್ಷಃಸ್ಥಲಂ ತಥಾ ಶಾಂತಃ ಕಾಮಚಾರೀ ಸ್ತನಂ ಮಮ



वामपार्श्वे समानीय शोभितां वर कामिनीम् ।।



ॐ अस्य श्री बटुकभैरवकवचस्य आनन्द भैरव ऋषि: त्रिष्टुप्छंद: श्री बटुकभैरवो देवता बंवीजं ह्रीं शक्ति: ॐ बटुकायेति कीलकं ममाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।

कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।

ई.डी, सी.बी.आई, सी.आई.डी जैसे यदि बुरे केस हो तो, अवश्य ही अपराजिता स्तोत्र और भैरव कवच का पाठ करें।

संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥

संहारभैरवः पातु get more info दिश्यैशान्यां महेश्वरः

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